भाजपा में विस्तारक योजना कैडर भी हैं विस टिकट के दावेदार

गिरिडीह। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 2014 के बाद पार्टी को व्यापक स्वरूप देने के लिए एक योजना बनायी थी, इसका नाम दिया था पंडित दीनदयाल विस्तारक। योजना के तहत 15 दिनों से छह माह तक पार्टी को अपना पूर्ण समय देने वाले कैडरों को बूथस्तर तक पहुंचाने का प्रशिक्षण दिया गया था। उन्होंने स्वयं भी इस योजना के तहत देश के कई हिस्सों में 15 -15 दिनों का प्रवास कर संगठन को मजबूती प्रदान की। भाजपा आलाकमान के विस्तारक योजना में ऐसे अनेक कैडर शामिल हुए जिनकी कई पीढ़ियों के सदस्यों ने जनसंघ से लेकर भाजपा को शीर्ष तक पहुंचाने में अपने-अपने क्षेत्रों में कड़ी मेहनत की। जिसके कारण बीते लोकसभा के चुनाव में विगत तीन दशक में सबसे विशाल जनादेश प्राप्त कर भाजपा दूसरी बार केन्द्र में सत्तासीन हुई। झारखंड में भी पार्टी को 51 फीसदी मत हासिल हुए। झारखंड समेत तीन राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं। 12 सितम्बर को रांची आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास हमारा वादा, अटल इरादे का संदेश देकर सूबे में चुनावी शंखनाद कर गये। इसके साथ ही विधानसभा टिकट के दावेदारों की सूची पर भी मंथन शुरू हो गया। आलम यह है कि टिकट हासिल करने की होड़ मच गई है। दूसरे दलों को छोड़कर कई नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं और टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। टिकट के दावेदारों में वैसे भाजपाई भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य 20, 30, 40 साल पार्टी में लगा दिए। गिरिडीह क्षेत्र के 42 वर्षीय संदीप डगंईच का भाजपा, संघ परिवार से तीन पीढ़ियों से नाता रहा है। 1977 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी परिषद से जुड़े, 1995 में विधानसभा के चुनाव में गिरिडीह सदर सीट से पहली बार भाजपा उम्मीदवार को जिताने में अहम रोल निभाया। बाद के वर्षों में भाजयुमो में संगठन के कई पदों पर रहकर पार्टी संगठन को मजबूत किया। कई चुनावों में चुनाव प्रभारी बनाये गये और पूरी शिद्दत से लोकसभा और विधानसभा में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में काम किया। एक समय ऐसा आया जब छोटे, बड़े नेता थोक के भाव में झाविमो में चले गये लेकिन संदीप ने संगठन नहीं छोड़ा। संदीप कहते हैं कि मेरे पिता स्व राधेश्याम डगैंच गिरिडीह इलाके में जनसंघ से लेकर भाजपा तक पार्टी के कतिपय तारणहारों में शुमार थे। अब जबकि भाजपा शीर्ष पर है तो संदीप चाहते हैं कि उन्हें पार्टी नेतृत्व विधानसभा का टिकट देकर वैसे कार्यकर्ताओं का सम्मान करे, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में संगठन का झंडा ढोया। बगोदर क्षेत्र के सरिया निवासी 55 वर्षीय प्रमेश्वर मोदी सत्तर के दशक में स्वंयसेवक बने। 1980 में नगर कार्यवाह बने, फिर नवगठित भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता प्रभारी बनकर कांग्रेस लहर में लोगों को भाजपा से जोड़ने का काम किया। 1983 में विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री, और 1987 में संघ के खंड कार्यवाह बनाये गये। राममंदिर आंदोलन में तीस दिन और स्थानीय रामनवमी प्रकरण में 45 दिनों तक जेल में रहे। वर्तमान में जिला कार्यसमिति के सदस्य मोदी कहते हैं कि स्थानीय जनमुद्दों को लेकर वे क्षेत्र में मुखर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसबार विधानसभा के टिकट को लेकर पार्टी आलाकमान से गुहार लगायी है। टिकट देना, नहीं देना पार्टी अलाकमान के हाथ में है। अशोक उपाध्याय गिरिडीह जिला 20 सूत्री के उपाध्यक्ष हैं। धनवार विधानसभा क्षेत्र से 2014 में इन्हें टिकट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन अपनों ने ही उनकी उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया। इस बार अशोक उपाध्याय खुद अपनी लॉबिंग कर रहे हैं। 1977 में सक्रिय सार्वजनिक जीवन की शुरुआत विद्यार्थी परिषद से की। बाद के सालों में भाजयुमो के कई पदों पर रहकर गिरिडीह भाजपा के जिला प्रमुख तक बने। साढ़े तीन दशक के सक्रिय राजनीतिक कैरियर पर अशोक उपाध्याय कहते हैं कि पार्टी में बिहार, झारखंड के कई बड़े नेताओं के साथ उन्होंने मिलकर पार्टी संगठन को मजबूत किया। अब जब पार्टी शीर्ष पर है और इसबार का विधानसभा चुनाव जात-पात से हटकर राष्ट्रीय मुद्दों एवं केन्द्र और राज्य सरकार के विकास के मुद्दे लड़ा जाना है, ऐसे में पार्टी अलाकमान से आग्रह है कि दशकों से पार्टी के लिए समर्पित कैडरों को टिकट देकर पार्टी संगठन में विश्वास की भावना को और मजबूत करने का काम करे।

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